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Showing posts from August, 2022

सफर

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        क्यू चले हो अकेले इन सुनसान राहों पे न कोई मंजिल है इनकी न कोई ठिकाना है इनका बस यूंही इन गुमराह राहों पे  चलते चले जाना है ले कहा जायेगी ये राहें मुझको ये मालूम नही फिर मिलूंगा  के नही मुझको ये मालूम नही निकल पड़ा हू एक अंतहीन सफर पे ले कहा जायेगी ये राहें  मुझको यह मालूम नही चलते चलते इन राहो पे खयाल तुम्हारा आता है वो मुस्कुराता चेहरा तुम्हारा याद तुम्हारी दिलाता है बस उन यादों को दिल में सजोकर निकल पड़े है इक सफर पे ले कहा जायेगी ये राहें  मुझको यह मालूम नही।

गणेश चतुर्थी

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हे विघ्नहर्ता, हे एकदंत शिव गौरी के दुलारे आप है दयावंत  हे सिद्धिविनायक ,हे गणाध्यक्ष है सभी देवताओं में आप सर्वश्रेष्ठ हे भालचंद्र ,हे गजानन आप को है मेरा सादर नमन हे सुमुख, हे गजकर्णक होती है पूजा आपकी सर्वप्रथम  चाहे हो विद्यारम्भ या हो विवाह के पूजन के प्रथम आप ही है सब देवताओं में प्रथम हे कपिल ,हे धूम्रकेतु आप को प्रिय है मोदक और लड्डू हे विकट, हे लंबोदर आप लेते है भक्तो के कष्टों को हर हे विघ्न-नाश , हे प्रभु जिसने किया यह व्रत गणेश चतुर्थी का  भर देते  है प्रभु  सुख और समृद्धि से जीवन उसका।   

नौकरी

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कुछ साल हुवे थे हमे हमने की थी नई नौकरी की शुरुवात बहुत था एक्साइटेड मैं  अपनी नए नौकरी को लेकर बहुत सारे प्लान थे हमने किए अपनी नए असाइनमेंट को लेकर नया रिवोल्यूशन को लायेगे और अपनी कंपनी को बेस्ट बनाएगें करेंगे अपने सभी एम्प्लॉय का मोरल हाई जिससे कंपनी छुएगी ग्रोथ की नई ऊंचाई जब पहली बार पहुचा मैं ऑफिस में देख रहे थे लोग सभी मुझको उम्मीदों से नही हुवा था सबका इंक्रीमेंट पिछले कुछ वर्षो से कुछ दिन के बाद हो गया प्लांट में एक एक्सीडेंट तब पहली बार हुवा सामाना वॉयलेंट वर्कर्स से बहुत एग्रेसिव थे वे सब  हाथापाई की थी ऑफिसर के संग जब मैंने प्रयास किया उनको समझाने का  बोले सर आप नए हो ये मैटर्स है हम लोगो के बीच का पहला अनुभव था बहुत खराब  सोचने लगा कही हो न जाए अपना हिसाब जब हुवा इंटरेक्शन अपने बॉस के साथ  लगा मजा आयेगा काम करने में साथ  पहला असाइनमेंट था एम्प्लॉय का अप्रिसल बॉस को नहीं था कॉन्फिडेंस मेरे ऊपर जब सारे लोगो को अप्रिसल प्रोसेस समझाया तब जाके बॉस को कॉन्फिडेंस आया लिया डिसीजन ग्रेड रिवीजन का हिल गया कॉन्फिडेंस मैनेजमेंट का सभी सीनियर ऑफिशियल ने कि...

खामोशी

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हादसे ऐसे क्या हो गए दरमिया हमारे जो राहे जुदा हो गई हमारी तल्खिया ऐसी क्या हो गई दरमिया हमारे जो राहे जुदा हो गई हमारी गलतफहमियां ऐसी क्या थी दरमिया हमारे जो सुलझाई जा न सकी क्यो अजनबी बन गए हम दोनो  क्यों उन खामोशियों को सुन न सके हम दोनो चले थे साथ मिलके जिन राहो पे  वो राहें क्यो जुदा हो गई  कही जाती है आज भी हमारी अधूरी मोहब्बत की कहानियां जो कभी कहलाते थे दो जिस्म एक जान क्यों वो आज अपनो से बेगाने हो गए वो खंडहर करता है आज भी इंतेजा उनका कभी फिर से होगा आबाद ये महल उनके सपनों का ।

रात और दिन

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रात और दिन एक बार हो गया विवाद रात और दिन में कौन बड़ा है इस पृथ्वी पर हम दोनों में  दिन बोला संपूर्ण दुनिया होगी अंधकारमय मेरे बिन कैसे लोग करेंगे अपने कामों को  मेरे बिन सारी दुनिया की थम जायेगी रफ्तार मेरे बिन रात्रि बोली कैसे लोगो को आयेगी नींद मेरे बिन  जगे रहेंगे लोग सारा दिन  मेरे बिन लड़ते लड़ते जा पहुंचे दोनो ब्रह्मा जी के पास  और कहा प्रभु आप बताओ कौन है हम दोनो में फेल या पास ब्रह्मा जी मंद मंद मुस्काकर बोले नही संभव है इस पृथ्वी का संतुलन तुम दोनो के बिन  बिन तुम दोनो के हो जाएगा सब कुछ इस धरती पर छिन्न भिन्न हो तुम दोनो पूरक एक दुसरे के इस धरती पर मानव जीवन का अस्तित्व है तुम दोनो से।

अधूरे ख्वाब

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तुम्हे कभी तो हमारी याद आती होगी कभी तो  हमारी कमी सताती होगी वो लम्हे जो हमने साथ मिलके थे गुजारे  वो सपने जो हमने साथ मिलके थे संवारे बन न सका वो हमारे सपनो का महल तो क्या बन न सका हमारा अफसाना हकीकत  तो क्या जरूरी नहीं हर ख्वाब मुकम्मल हो  जरुरी नही हर साथ मुकाम्मल हो मिलना और बिछड़ना तो तकदीर की  बात है खोना और पाना तो मुकद्दर की बात है अधूरी कहानियो की अपनी कहानी होती है अनकही अफसानों की अपनी रवानी होती है कुछ अफसाने मुमकिन नहीं हो पाते है जिंदगी में एक खूबसूरत मोड़ दे उन्हें बढ़ जाते है आगे जिंदगी मे  सफर में 

रिश्ते

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  आज पति इक नई टीवी घर लाया आते ही घर उनसे ये फरमान सुनाया  नाराज था वो बहुत अपनी पत्नी से बोला अब नहीं करना है वार्तालाप तुमसे तुम रहोगी पहले कमरे में अब मैं रहूंगा बगल के कमरे मे अब अब न होगा कोई संबंध तुमसे कामवाली देख रही थी ये कभी से जब नही देखा गया उससे ये सब बड़ी मासूमियत से बोली वो तब साहब पति पत्नी में नोक झोंक तो आम बात है यही तो इस रिश्ते की मजबूती का राज है ये रिश्ता तो सात जन्मों का होता है ये तो फेविकोल का जोड़ होता हे  जिसका न कोई तोड़ होता हे  हमे इन्हे जीवन भर निभाते जाना है और इस अनमोल बंधन का लुफ्त उठाना है।

मन की व्यथा

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आज न जाने है क्यो  मन बहुत बेचैन है क्यों  कुछ तो बोलना चाहता है ये   कुछ  तो समझाना चाहता है ये   ये कैसी अकुलाहट सी है  ये कैसी  झुंझलाहट सी है  मैं समझना चाहता हू मैं सुलझाना चाहता हू लेकिन ये मन भी है एक पहेली बड़ी अदभुत है ये अबूझ सहेली।

सीनियर सिटीजन

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बूढ़े पिता  ने बोला अपने पुत्र से बेटा कुछ पल मेरे साथ भी बिताया करो तुम  दिन भर रहते हो इतने व्यस्त  नही रहता मेरे लिए तुम्हारे  पास वक्त पुत्र बोला सब कुछ तो दिया है आपको नौकर भी लगे रहते है सेवा में आपके  पिता बोले मुझे नही चाहिए ये सब  बस कुछ पल साथ बिताना चाहता हू अपनो से अपनी बाते बताना चाहता हू  पोते को पंचतंत्र की कहानियां सुनना चाहता हू बस कुछ पल साथ बिताना चाहता हू बहु तो रहती है व्यस्त  साथ अपने दोस्तो के  पोता तो रहता है मस्त साथ अपने गैजेट के बड़ी मुश्किल से कटता मेरा समय तुम लोगों के बिना मां तो पहले ही चली गई भगवान के पास अब तो उनसे मिलने को रहता है मेरा मन उदास बेटा बोला अभी तो जा रहा हूं  आज सीनियर सिटीजन दिवस का है अवसर  थोड़ा समय मिला है इक ओल्ड एज होम में  बुजुर्गो के साथ बिताने का सुअवसर  पिता बोला इक सीनियर सिटीजन इस घर में भी  है पता नही कब चला जायेगा तुमसे दूर थोड़ा समय हमे भी दे दो ऐ मेरी आंखो के नूर थोड़ा समय मुझे भी दे दो   ऐ मेरी आंखो के नूर ....

कृष्ण की कथा

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आज जन्माष्टमी का हैं उत्साव आज कृष्ण के जन्म का है महोत्सव वो भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी वो घनघोर वर्षा की रात्रि प्रभु ने लिया जन्म माता देवकी के गर्भ से जब सभी जेल के प्रहरी सो गए गहरी निद्रा में तब पिता वासुदेव ने पार किया यमुना को  पहुंचाया  गोकुल में अपने कान्हा को जहा हुवा यशोदा नंद के घर उनका पालन वो लाडले थे गोकुल में सभी के कहलाते थे माखनचोर सभी से उनकी बाल लीला थी अदभुत गोकुल में है लोकप्रिय आज भी संपूर्ण विश्व में एक बात खा लिया था मुंह में कंकड़ जब  मां यशोदा खोला था मुंह देखने को कंकड़ हो गई आश्चर्य चकित देख बहामंड उनके मुख में बाल्यकाल में किया अनेकों राछासो का वध उनकी लीला देख थे संपूर्ण गोकुल वासी स्तबध था अभिमान  इंद्र को अपनी शक्ति पर  जब किया जलमग्न गोकुल की धरती पर उठा के कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को दिखाई अपनी महिमा अभिमानी इंद्र को  कंस को मारकर दिलाई सभी को उसके अत्याचारों से मुक्ति और किया अपने माता और पिता को  देवकी वासुदेव को कारागार से मुक्ति राधा कृष्ण का अमर प्रेम  हमे सिखलता है सारी दुनिया को आध्यात्मिक प...

75 वा स्वतंत्रता दिवस

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आज मना रहा है संपूर्ण देश अपना 75वा स्वतंत्रता दिवस ये  हैं आजादी का अमृत महोत्सव  चलता रहेगा पूरे वर्ष ये उत्सव आज ही के दिन हमने पाई थी आजादी खुली हवा में सांस लेने की आजादी लाखो लोगो के बलिदान से हुवा था ये संभव वरना था इस आजादी का मिलना थाअसंभव कुछ  लोगो के बलिदानों का कही नही है वर्णन फिर भी देश हमेशा रहेगा उनके प्रति कृतज्ञ और समर्पन  क्रांतिकारियों ने दी थी अपने प्राणों की आहुति तब जाके मिली थी हमको गुलामी से मुक्ति जब मंगल पांडे ने ललकारा था अंग्रेजो को जब लक्ष्मीबाई ने वीरता से मारा था अंग्रेजो को जब  हंसते हंसते भगत  सिंह ,राजगुरु और सुखदेव ने  डाल लिया था अपने गलो में देश की आजादी के लिए फांसी का फंदा  जब नेता सुभाष चंद्र बोस ने हिला दिया अंग्रेजो का झंडा वो जलियांवाला बाग की कुर्बानी कहती है अंग्रेजो के बुजदिली की कहानी वो गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन देशवासियों ने किया अपने को अर्पन  आखिर हार के टेके अंग्रेजो ने अपने घुटने साकार हुवा कोटि कोटि लोगो के सपने  और लहराया बड़ी शान से तिरंगा अपना ।

मैं शांतिनिकेतन हू

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आज मिला था अवसर  शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के भ्रमण का उमंगे मार रही थी जोर इस पल का ये वही पावन स्थल है जिसकी गुरुदेव ने की थी स्थापना   5 बच्चे थे गवाह इस महान पल के इसी विश्वविद्यालय में लिखी  गई थी महान कलजायी गीतांजली  यही वो स्थल है जहां पढ़ते थे  छात्र बगीचे में पेड़ो के नीचे कई महान लोगो ने थी की यहा पढ़ाई जिन्होंने ने पूरी दुनिया में है पहचान अपनी बनाई आज घुसा जब मै उस परिसर में आंखे फटी सी रह गई पल भर में सड़के थी टूटी हुई और जर्जर थे हुए इमारत जो कह रहे थे कहानी अपनी इस दुर्दशा पर वो भवन जहा गुरुदेव ने थी लिखी  अपनी कलजायी गीतांजली उसकी विरानी सुना रही थी अपनी कहानी वो भवन जहां गुरुदेव ने थे बिताए अंतिम दिन वो सोच रहा था आज गुरुदेव के बिन अच्छा नही है वो आज देखने को ये सब वो बरगद का पेड़ रोकर कह रहा था ये सब सभी कर रहे थे आपस में ये बाते अब कौन सुनेगा हमारी फरियादे  रो रहे थे सब विश्वविद्यालय की दुर्दशा पर यहा तो लोग करते है चर्चा सिर्फ  स्थापना और गुरुदेव के जन्म दिवस पर  गुरुदेव की सुनी आंखे है तलाशती  ऊपर स...

सुबह का भूला

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  इक बार हमने छोड़ दिया घर एक छोटी बात बात पर  नया जोश था नई उमंग थी दोस्तो पे था  बहुत भरोसा  जेब में था न एक पैसा  चौराहे पर पहुंचते ही घुमाया दोस्त को फोन उधर से दोस्त के पापा ने पूछा हो तुम कौन मैने जब अपना परिचय उनको बताया तब उन्होंने फोन मेरे दोस्त को थमाया जब अपने दोस्त को मैंने अपनी कहानी सुनाई  तब उसने तुरंत मुझे अपनी मजबूरी बताई  बोला मैं तो हू आज शहर से बाहर कुछ नही कर पाऊंगा तुम्हारे लिए मैं चाहकर तभी पीछे से उसकी मम्मी ने बोला बेटा राम जरा दरवाजा तो खोलो तुम्हारी दादी आई है  तुम्हारी नई बैट लाई है तब मेरी समझ में बात आई फोन कट करने में है मेरी भलाई फिर मैंने घुमाया  दुसरे और तीसरे दोस्त को फोन सबने दे अपनी lमजबूरी का  हवाला काट दिया मेरा फोन उनकी बातो सुनकर निकल गई सारी हेकड़ी अब क्या होगा मेरा ये सोचकर आ गई झुरझुरी सुबह से नहीं था कुछ मैने खाया जाकर रेलवे स्टेशन पे रात बिताया स्टेशन के प्लेटफॉर्म के बेंच पर जागते हुवे सारी रात गुजरी अब क्या होगा मेरा ये सोचकर आ गई झुरझुरी अब कहा किसके पास जाऊंगा कैसे अपना सारा ज...

पहला जॉब मेला

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आज एक जॉब  फेयर में   जाने का  मिला था मौका स्टूडेंट्स की थी लंबी कतारें   खड़ी थी बेसब्री से लगाने को छक्का लंबी कतारों में खड़े थे  उम्मीदों का सपना लेकर आपस में  पूछ रहे थे  कौन सी कंपनी हैं  बेहतर आज पहली बार होने वाली थी  उनकी असली परीक्षा जो उनको सिखाएगी जीवन की  वास्तिविकता की शिक्षा  आज है मौका उन सपनों को  देने का है हकीकत का  रंग जो उन्होंने देखे थे कॉलेज में अपने दोस्तो के संग किसी ने देखा है बड़े कंपनी  बड़े पैकेज का सपना किसी के लिए है मिल जाय   बस इक नौकरी है सपना अभी कुछ है देरी इंटरव्यू शुरू होने मे सभी के चेहरे है उम्मीदों से भरे भरे से कोई आज अपने सपनो को पाएगा कोई आज खाली हाथ घर जायेगा ......

मेरी पहली कविता

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जब हम होते है बच्चे  मां बाप होते है सब से अच्छे  धीरे धीरे जब हम होने लगते है बड़े  हमे लगने लगते है अच्छे कॉलेज के छड़े  समय बीतता जाता है और आ जाती हमारी पत्नी  हमे लगती है उसकी हर बात अपनी अब तो सारा समय उसके आगे पीछे है बीतता  मां बाप का समय हमारी यादों में था  गुजरता  जब भी आता था फोन उनका हमारे पास कह देते थे पांच मिनट में करते है  आप से बात उनकी बूढ़ी आंखो में था बेटे से मिलने का सपना बेटे के लिए अपनी तरक्की थी पहला सपना धीरे धीरे समय बीतता जाता है  सब कुछ पीछे छूटता जाता है बूढ़ी आंखे खोजती थी आसमान के तारो में   पथराई आंखे तलाशती थी अपने सितारे को बेटा हो जाता है अपने दुनिया में व्यस्त  भूल जाता है अपनी असली शख्सीयत  तभी एक दिन मिलती है मां बाप के गुजरने की सूचना  फिर एहसास होता है कि हमसे है क्या छीना........क्या छीना 

Mother

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Once in a class, children were asked to write an essay on their mother. After writing the essay, the children submitted the paper. While checking the paper of a child, suddenly the teacher started crying loudly. All the teachers ran to him and took the child's essay from his hand and started reading that essay one by one. Everyone's eyes became moist after reading this. Later a teacher read that essay aloud to everyone. Which was like "Mom I don't want a mother with mobile , I don't want a mother with jeans. I want a mother like Tinku's mother who cooks food with her own hands and feeds me when I am hungry and not by asking for food from the hotel. I want a mother who spends time with me and is not always busy with parties with her friends. I want a mother who will stay with me, drop me off at school. Educate me. Whose priority should be my childhood, not to give my childhood in the hands of the servants to go ahead in the career. I want a mother who tells me s...