कृष्ण की कथा

आज जन्माष्टमी का हैं उत्साव
आज कृष्ण के जन्म का है महोत्सव
वो भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी
वो घनघोर वर्षा की रात्रि
प्रभु ने लिया जन्म माता देवकी के गर्भ से जब
सभी जेल के प्रहरी सो गए गहरी निद्रा में तब
पिता वासुदेव ने पार किया यमुना को 
पहुंचाया  गोकुल में अपने कान्हा को
जहा हुवा यशोदा नंद के घर उनका पालन
वो लाडले थे गोकुल में सभी के
कहलाते थे माखनचोर सभी से
उनकी बाल लीला थी अदभुत गोकुल में
है लोकप्रिय आज भी संपूर्ण विश्व में
एक बात खा लिया था मुंह में कंकड़
जब  मां यशोदा खोला था मुंह देखने को कंकड़
हो गई आश्चर्य चकित देख बहामंड उनके मुख में
बाल्यकाल में किया अनेकों राछासो का वध
उनकी लीला देख थे संपूर्ण गोकुल वासी स्तबध
था अभिमान  इंद्र को अपनी शक्ति पर 
जब किया जलमग्न गोकुल की धरती पर
उठा के कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत को
दिखाई अपनी महिमा अभिमानी इंद्र को 
कंस को मारकर दिलाई सभी को
उसके अत्याचारों से मुक्ति
और किया अपने माता और पिता को 
देवकी वासुदेव को कारागार से मुक्ति
राधा कृष्ण का अमर प्रेम  हमे सिखलता है
सारी दुनिया को आध्यात्मिक प्रेम का मार्ग दिखलाता है
वो कान्हा सुदामा मित्रता की कहानी
आज भी सुनाई जाती है सबकी जुबानी
अपने वचनों को सदा उन्होंने निभाया
महाभारत के युद्ध में पांडवों को बचाया 
राखी की बंधन को निभाकर
भरी सभा में द्रोपदी की लाज को बचा कर 
दिया हमेशा धर्म का साथ
किया अधर्म का विनाश
महाभारत के युद्ध में दिया उपदेश अर्जुन को
वो गीता उपदेश कहलाया 
और सारी दुनिया  को
जीवन जीने का मार्ग दिखालाया 
फल की इच्छा किए बगैर कर्म करते करते जाना है
मंजिल मिलेगी निश्चय ही बस धैर्य का मार्ग अपनाना है
यह कर्मयोगी कृष्ण की कथा है सबके लिए
जीवन की जीने की कथा है जग के लिए।
जय श्री राधेकृष्ण 

Comments

AKS said…
Sampurn Shree Krishna Gatha in this poem.

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