कोशिश
वो छोड़कर हमको चले गए करके तन्हा ये भी न सोचा हम कैसे जीयेंगे उनके बिन तन्हा हमने बहुत कोशिश की थी उनको मानने की हमने बहुत कोशिश की थी उनको समझाने की लेकिन उनकी आंखों ने पहना था गलतफहमी का चश्मा न वो देख पाई मेरी आंखों से बहते आंसुओ का चश्मा उनको हमारी हर बात अब नागवार लग रही थी उनको मानने की हर कोशिश नाकाम हो रही थी आखिर चल दिए हमारी मोहब्बत को रूसवा करके आखिर चल दिए हमारी इबादत को रुसवा करके घर का हर कोना उनके होने का अहसास दिलाता है उनकी याद में न जाने क्यों दिल हमारा डूबता जाता है शायद अब आप से मुलाकात ना हो पायेगी ये जीवन आपकी यादों में यूंही बीत जायेगी ।