इबादत
आज जब तुम आए थे घर पे हमारे
आ गए थे याद वो पुराने दिन हमारे
घर की हालत हमारी कुछ ऐसी थी
छाई हुवी वीरानी घर में चारो तरफ थी
तुमने पूछा क्या अकेले ही रहते हो
घर को अस्त व्यस्त क्यों रखते हो
देखो चारो तरफ धूल और जाले ही जाले है
लगता है तुमने सालों से इनको संभाले है
हमारी ओर वो देखकर बोली
मुझे न जाने ऐसा क्यों लगता है
मानो यहा घर का हर कोना
कुछ न कुछ मुझसे कहता है
उसने हमसे पूछा कि कौन है वो संगदिल
जिसने न समझा तुमको प्यार के काबिल
बहुत बदकिस्मत होगी वो जिसने ठुकरा दिया तुमको
मैने बोला न कहो तुम उसके बारे में ऐसा मुझको
जरुरी नही है उसका साथ रहना ही मोहब्बत है
मेरे लिए तो उसके होने का अहसास ही मोहब्बत है।
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