बेबसी


काश हम तुम साथ होते 
न ऐसे हमारे हालात होते
न यू तन्हाइयो में हम रोया करते
न आंसुओं से तकिए को भिगोया करते
जब हुवे थे हम जुदा 
देख रहा था वो खुदा
बेबसी हमारी देख रहा था वो
नजरें नही मिला पा रहा था वो 
कह रही थी चेहरे की खामोशी उसकी
अब तो यही मुकद्दर है इस जीवन की
जिंदगी यूंही बितानी है हमको
इन पथरीली राहों पे चलते चले जाना है हमको।

Comments

Popular posts from this blog

मातृ दिवस

यूंही आगे बढ़ते जाना है

पिताजी