छठ पूजा
होता है महापर्व छठ का शुभारंभ
दीपावली के चौथे दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से
करते है आराधना इस पावन पर्व मे
हम माता छठी देवी और सूर्य देव की
किया था इस व्रत को प्रभु श्रीराम -माता सीता , द्रौपदी , कर्ण और राजा प्रियव्रत ने
होती है शुरुआत पहले दिन
इस पावन व्रत की नहाए- खाए से
करके स्नान नदी में इस दिन
खाते है सिर्फ एक बार दिन में हम
चावल,चना दाल और कद्दू(लौकी)
दूसरा दिन कहलाता है खरना का
रखके उपवास व्रती पूरे दिन का
बनता है प्रसाद गुड़ के खीर का
मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से
करते है ग्रहण प्रसाद शाम को व्रती खुशी से
तीसरा दिन होता है निर्जला व्रत का
जाते है नदी के किनारे शाम को सब
लेके प्रसाद ठेकुआ,गन्ना और मौसमी फल का
देते है व्रती संध्या अर्ध डूबते सूर्य देव को दूध और जल का
चौथे दिन प्रातः काल में उगते सूर्यदेव को जल दे के
करते है प्रार्थना माता छठी और सूर्य देव से
अपने संतान और परिवार के सुख शांति का
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