इंद्रधनुष

ये जिंदगी हैं इंद्रधनुषी सपनों का भ्रम जाल 
ये जिंदगी है अंतहीन सपनों का भ्रम जाल 
हो जाते है गुम सतरंगी सपनों की दुनिया में 
दौड़ते रहते है हमेशा मृगमरीचिका के पीछे में 
लगता है यही तो है अपने सपनो की मंजिल 
होता है एहसास  पहुंच कर दूर अभी है मंजिल 
सुनाई देता है पंछियों के चहचहाने का शोर
खुलती है आँखें तो पसरा होता है सन्नाटा चहुओर 
जी लो दोस्तों इस जिंदगी को अपनो के संग 
ऐसा न हो रहे हमेशा उनको खोने का ग़म
यही तो फलसफा है हमारे जिंदगी का
ज़िंदगी तो है मुठ्ठी से फिसलते रेत सरीखा।

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