महापर्व है महाव्रत का
छठ पूजा का है महापर्व
सूर्योपासना का है महापर्व
सूर्यदेव की स्वसा हो आप
ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हो आप
बहुत कठोर है महाव्रत छठ का
कार्तिक मास का षष्ठी दिवस है आरंभ छठ पर्व का
अद्भुत और अद्वितीय है यह महापर्व छठ का
समर्पित है यह उपासना प्रत्यूषा और उषा का
देते है अर्घ्य डूबते और उगते सूर्य को इस महापर्व में
न कोई पंडित है और न कोई मंत्र होता है छठ महापर्व में
यह तो पर्व साधना का है जिसमें है
विश्वास का अमिट रंग
यह तो पर्व उपासना का है जिसको करते है सब श्रद्धा के संग
प्रथम दिवस है नहाय खाय इस महावर्त का
द्वितीया दिवस है लोहंडा और खरना इस महापर्व का
तृतीया दिवस है कठोर निर्जला व्रत का
चतुर्थ दिवस है सूर्य अर्घ्य देकर पारण का
नदी किनारें घाट सजाकर
दीप धूप से डाल सजाकर
ठेकुआ, लड्डू ,खीर और फल अर्पण कर
हाथ जोड़कर शीश नवाकर
करते है प्रार्थना आपसे हम बारंबार
रहे सदा आशीष आपका हम सबको
संतानो की रक्षा कर देती हो दीर्घायु और स्वास्थ्य का आशीर्वाद सबको ।
Comments