दर्पण

आज जब खड़ा था आइना के सामने  
सोचने लगा कि यही है वो हमारे अपने 
दिखलाता है हमारा यह असली चेहरा 
छिपा नहीं सकते हम अपना नकली चेहरा
यह हमे एहसास दिलाता हमारी गलतियां का
यह हमे एहसास दिलाता हमारी  खुशियां का
हमारे चेहरे बदलते भावों को दिखलता है  ये
जीवन के हर कदम पर हमको समझाता है ये 
क्या है सही और क्या है गलत एहसास कराता है ये
हमारे  जीवन की वास्तविकता का एकमात्र दर्पण है ये 
हमारा सच्चा शुभचिंतक है ये
हमारा सच्चा निंदक है ये
हमारी जीवन की परछाई है ये
हमारी जीवन की सच्चाई है ये
रोज हमारा होता है  सामना  इनसे 
नही भाग सकते है चाहकर हम इनसे ।

Comments

AKS said…
Aap ki Kavitayen v Jeevan Ka Ek Darpan Hai.

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