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Showing posts from October, 2022

रेलवे प्लेटफार्म

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मैं रेलवे प्लेटफॉर्म हू  आज मैं अपने बारे में  आप सबको  बताता हूं आज मैं अपनी कहानी आप सबको सुनता हूं रोज सैकड़ों ट्रेनें मुझसे होकर जाती है लोगो को गंतव्य स्थलों को ले जाती है हजारों मुसाफिर रोज मेरे पास आते है सबकी अपनी अपनी कहानियां होती है किसी को काम से  दूसरे शहर जाना है किसी को अपनो से मिलने घर पर आना है पूरा दिन मेरे यहां चहल पहल रहता है कही विक्रेताओं की आवाजों का शोर कही बच्चों के नए एहसास की खुशी का शोर कही दो परिवारों के मिलने की खुशी का शोर कही दोस्तो के नए ट्रीप  की खुशी का  शोर मैं प्रतिदिन जीवन के अलग अलग  रंगो को देखता और अनुभव करता हू किसी आंखों में अपनो के आने के  इंतजार में खुशी दिखाई दे रही है तो किसी की आंखे अपनो से  बिछड़ जाने से गमगीन हो रही है कभी कभी मैं बहुत दुखी हो जाता हू  जब लोग मुझको गंदा कर देते है मुझ पर चारो तरफ कचरा फेंक देते है तब गंदगी से मेरा दम घुटने लगता है आप सब से मेरी ये करबद्ध प्रार्थना है आप को मेरी स्वच्छता का ध्यान रखना है

दक्षता

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ये माना जिंदगी का सफर कांटो से भरा है इन राहों पे चलना है बहुत ही मुश्किल  यही कठिनाइयां  सिखलाती है  हमको  राहों में  आने वाले मुसीबतों से लड़ना  क्योंकि नदी के बहाव के साथ चलने वाले  कभी जीवन मे कुशल नाविक नही बनते।

दीपोत्सव

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दीपावली है त्यौहार रोशनी का हम सब हैं  मानते यह दीपोत्सव अपने घरों को दीपो से प्रज्वलित करके  इस दिन प्रभु राम थे लौटे चौदह वर्ष  पश्चात् अयोध्या में वध रावण का करके  उनके आने की खुशी में नगरवासियो ने था सजाया दीपो से संपूर्ण अयोध्या को पहले  दिन है धनतेरस  सुख समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी का करते है हम सब खरीदारी बर्तन और चांदी सोने का दूसरे दिन मनाई जाती  है छोटी दीपावली  इस दिन किया था प्रभु कृष्ण ने वध नारकसुर का तीसरे दिन होता है बड़ी दीपावली का  करते है हम पूजा इस दिन  गणेशजी और लक्ष्मीजी का उसके बाद होता है शुरू दौर आतिशबाजीयो का लेकिन रखना है हम सबको  ध्यान इस बात का भी है हमारी बडी जिम्मेदारी दे श पर्यावरण के प्रति भी  पर्यावरण को बचाना है देश को प्रदूषण मुक्त बनाना है चौथा दिन है गोवर्धन पूजा का किया था गर्व चूर प्रभु श्रीकृष्ण ने  इंद्र का उंगली पर उठाकर गोवर्धन पर्वत को गावों में होती है इस दिन हर घर के  दरवाजे पर गोबर की पूजा पांचवे दिन होता है भाई दूज का  करती है बहने इस दिन प्रार्थना  अपने भाई ...

हमारे पिता जी

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हमारा अभिमान है हमारे पिता जी हमारी पहचान है हमारे पिता जी बचपन में हम सीखते है चलना उनकी उंगलियां को पकड़ कर कभी घोड़ा बनकर अपनी  पीठ पर हमको है घर में घुमाते तो कभी कंधो पे बिठाकर बाजार हमको है ले जाते अक्सर रात को रामायण और  कभी  पंचतंत्र की कहानियां हमको है सुनाते जीवन में आदर्श और नैतिकता के मार्ग पर  चलने का पाठ हमको है सिखलाते  त्यौहारी के अवसर पे  हमको मेले में है घूमाते रात को दफ्तर से लौटकर हमको रोज है पढ़ाते  जब कभी होते है हम बीमार रात भर जागकर करते रहते है  हमारे स्वास्थ्य की देखभाल बन जाते है इस घडी में हमारी ढाल  करके त्याग अपने  सपनो का हमारे अभिलाषाओ  की खातिर हमारे सपने  को पूरा करना ही उनका एकमात्र सपना होता है हमारी खुशियों के लिए कर देते है  अपनी खुशियों का बलिदान  हम उचाइयो की बुलंदियों को छुए  यही होता है उनका एकमात्र अरमान परिवार की हर परेशानियों का  करते है अकेले ही सामना चाहे कितनी भी बडी मुसीबत हो नही छोड़ते है मुस्कुराना  संपूर्ण जीवन उनका यू ही  संघर्ष में ग...

अफसाना

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खामोश निगाहे बायां करती है अनकही अफसानों की हकीकत कुछ अफसाने ऐसे भी होते है जिन्हे एक खूबसूरत अंजाम दे भूल कर आगे बढना ही बेहतर है जिंदगी तो यूंही चलती चली जाती है लोग मिलते रहते है जीवन के  इस सफर में  और कहानियां बनती जाती है  

अपने

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कभी अपनो से मत होना   नाराज  ए मेरे दोस्त ये जिंदगी बड़ी छोटी है कही ऐसा ना हों  जाय  वो आप से इतनी दूर चला जाय जहां से कोई लौट के आता नही है रोज रात को सितारों में उनको  तलाशते रहे और उनकी याद मे जीवन भर पछताते रहे 

डोर

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रिश्तों की डोर बड़ी नाजुक है मेरे दोस्त  बड़े जतन से संभालना पड़ता है इनको  एक बार टूट जाने पर जुड नही पाती है ये अगर जुड़ भी गई तो पहले वाली बात नहीं रहती है इनमे 

चार पंक्तिया

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ना जाने कुछ ऐसी बात है तुममें जो करती है तुमको दुसरो से अलग वरना तुम भी उस भीड़ का हिस्सा होते जिसमे आम लोग चला करते है

आंखे

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ये आंखें भी कितनी अजीब हैं   बिना बोले ही सब कुछ बयां कर देती है ये आंखे  कई अनकहे  राज  खोल देती है ये आंखें क्या चल रहा है दिल में सब कह देतीहै ये आंखें बडी खामोशी से इजहारे  मोहब्बत करती है ये आंखे कभी दिल की उदासी को  बयां करती है ये आंखें कभी मन की भावनाओ को मासूमियत से कहती है ये आंखें दिल की तरंगों की रवानी है ये आंखें संपूर्ण जीवन की अभिव्यक्ति की कहानी कहती हैं ये आंखें  बिना आंखों के जीवन में  चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा है आंखों से ही इस जीवन में हर तरफ उजियारा ही उजियारा है ये आंखे मानव जीवन का आधार है बिना आंखों के जीवन ही निराधार है ।

अधूरे सवालात

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                क्यो आप हमसे जुदा हो गए क्या हुवी गुस्ताखिया ऐसी हमसे जो आप हमसे खफा हो गए क्यों फेर ली  नजर हमसे आपने हम आप के लिए अजनबी हो गए थामा था दामन इक दूजे का हमने लेकिन आज हम दरिया के दो किनारा हो गए महफिलों में  होता है सामना जब कभी हमारा  तो देखते हो ऐसे निगाहों से हमको  जैसे हम दूजे के लिए अंजाने हो गए  कभी जब हाले दिल बयां करने का    हमको मिलेगा मौका  ऐ मेरे दोस्त तो हमारी इल्तिजा यही होगी आपसे  कि हमारी गुनाहे खता क्या थी .... कि हमारी गुनाहे खता क्या थी ......

बापू

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इक महामानव आया धरती पर २ अक्टूबर को  महात्मा गांधी कहलाए आगे चलकर वो  इस समय हमारा देश था जकड़ा गोरों की गुलामी की जंजीरों में बापू के आंदोलनों से हिल गई  गोरी सरकार की जड़े संपूर्ण देश में संपूर्ण विश्व को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखलाया करके आजाद देश को इसका महत्व बतलाया  किया पहन खादी को स्वदेशी को अपनाया और संपूर्ण विश्व को भाईचारे का पाठ पढ़ाया संपूर्ण विश्व में होता रहेगा उनके आदर्शो का पालन  करते है उनके चरणों में  है हम शत शत नमन ।

जीवन यात्रा

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ए जिंदगी तू चली चल  इस सफर में अकेले अकेले मिलेंगे कई लोग सफर के रास्ते में जो होंगे साथी आप के इस सफर में कुछ लम्हों के फिर चले जायेंगे साथ छोड़ के आप का बीच में इस सफर के रह जायेगा तू अकेला फिर  जिंदगी के इस सफर में तुझे अकेले ही तय करना है  राहें मंजिल का रास्ता तुझे अकेले ही लड़ना है  राहों की परेशानियों से यही जीवन का कटु सत्य है बाकी सब कुछ अस्त्य है।

मूल्यह्रास

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क्या यही दुनिया है कोई नही यहा अपना है मानवता सांसे तोड़ रही है बनावटी मुस्कुराहते साथ छोड़ रही  है आज कॉरपोरेट और कारखानों में एंप्लॉयी और एमोलॉयर के रिश्तों में नही रही वो पहले वाली एक परिवार वाली बात अब तो दिखता है सिर्फ नौकर और  मालिक होने जैसा  एहसास मानीवय मूल्य तो अब कहीं खो से गए है सभी लोग आजकल खरीदार हो गए है क्या होगा अब इस दुनिया का क्या होगा अब नैतिक मूल्यों का इसी प्रश्न के उत्तर के तलाश में हू बस इसी प्रश्न के उत्तर के तलाश में हूं।