हमारे पिता जी

हमारा अभिमान है हमारे पिता जी
हमारी पहचान है हमारे पिता जी
बचपन में हम सीखते है चलना
उनकी उंगलियां को पकड़ कर

कभी घोड़ा बनकर अपनी 
पीठ पर हमको है घर में घुमाते
तो कभी कंधो पे बिठाकर
बाजार हमको है ले जाते

अक्सर रात को रामायण और  कभी 
पंचतंत्र की कहानियां हमको है सुनाते
जीवन में आदर्श और नैतिकता के मार्ग पर 
चलने का पाठ हमको है सिखलाते 

त्यौहारी के अवसर पे 
हमको मेले में है घूमाते
रात को दफ्तर से लौटकर
हमको रोज है पढ़ाते 

जब कभी होते है हम बीमार
रात भर जागकर करते रहते है 
हमारे स्वास्थ्य की देखभाल
बन जाते है इस घडी में हमारी ढाल 

करके त्याग अपने  सपनो का
हमारे अभिलाषाओ  की खातिर
हमारे सपने  को पूरा करना ही
उनका एकमात्र सपना होता है

हमारी खुशियों के लिए कर देते है 
अपनी खुशियों का बलिदान 
हम उचाइयो की बुलंदियों को छुए 
यही होता है उनका एकमात्र अरमान

परिवार की हर परेशानियों का 
करते है अकेले ही सामना
चाहे कितनी भी बडी मुसीबत हो
नही छोड़ते है मुस्कुराना 

संपूर्ण जीवन उनका यू ही 
संघर्ष में गुजर जाता है
और देखते ही देखते उनका 
बुढ़ापा आ जाता है

फिर भी उनकी चेहरे की मुस्कुराहट
हमेशा यूं ही बनी रहती है
उनकी  सारी तकलीफे हमेशा उनके 
मुस्कुराते चेहरे के पीछे छिपी रहती है

फिर एक दिन छोड़कर हम सबको 
चले जाते है करके हमको अकेला
रह जाती है उनकी यादेंऔर निशानिया
जो सुनाती है उनके त्याग और समर्पण की कहानियां ।

Comments

AKS said…
Bemisal Prastuti.

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