अधूरे सवालात

       
       

क्यो आप हमसे जुदा हो गए
क्या हुवी गुस्ताखिया ऐसी हमसे
जो आप हमसे खफा हो गए
क्यों फेर ली  नजर हमसे आपने
हम आप के लिए अजनबी हो गए
थामा था दामन इक दूजे का हमने
लेकिन आज हम दरिया के दो किनारा हो गए
महफिलों में  होता है सामना जब कभी हमारा 
तो देखते हो ऐसे निगाहों से हमको 
जैसे हम दूजे के लिए अंजाने हो गए 
कभी जब हाले दिल बयां करने का  
 हमको मिलेगा मौका  ऐ मेरे दोस्त
तो हमारी इल्तिजा यही होगी आपसे 
कि हमारी गुनाहे खता क्या थी ....
कि हमारी गुनाहे खता क्या थी ......

Comments

AKS said…
Sir
Dil ko sukun dijiye, ye mankar ki" Koi Yeun hi Bewafa nahi hota Kuchh to Majburiyan rahi hongi"

Popular posts from this blog

मातृ दिवस

उड़ान

पिताजी