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Showing posts from February, 2023

अनाड़ी

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 अजीब सी कश्मकश में हू  समझ नही आ रहा हैं कैसे कहूं  यह कैसी भूल भुलैया है  मानो चल रही शनि की ढैय्या है  कोई रास्ता सूझता नहीं है  कोई मंजिल दिखाता नही है  यह दुनिया भी कितनी  है अजीब सी  लोगो को बदलते हुवे देखा करीब से जिन पर सब कुछ लुटाया उन्ही लोगो ने हमको भुलाया लिया है मुंह हमसे मोड़  चल दिए है हमको छोड़  इस उलझन से निकलना है बेहतर   यहां से अब निकल चलना है बेहतर कही तो सपनों की मजिल नई मिलेगी नई उम्मीदों की दुनिया फिर से सजेगी  

शिव कृपा

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हे देवाधिदेव, हे महादेव आप  ही हो इस जग के पितृदेव आपसे ही है इस जगत का जीवन आपसे ही है इस जगत का सृजन जब जब इस दुनिया पर संकट आया आप ने इस सृष्टि की रक्षा का दायित्व निभाया आप ही हो आदिशक्ति जगत जननी के पति जिनके नौ रूपों का वर्णन है अदभुत अद्वितीय आप के है पुत्र  कार्तिकेय और गणेश  जिनकी कृपा आप के भक्तो पर है विशेष  अपने पी के विष समुद्र मंथन का की थी रक्षा इस संपूर्ण सृष्टि का हे प्रभु आप को है शत शत नमन  शिवरात्रि के इस पावन अवसर पर हे प्रभु रखना बनाए अपनी कृपा   हम सब भक्त जनों पर सर्वदा ।

निरुत्तर

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आज सुबह जैसे ही निकला घर से  एक बच्ची मिल गई खड़ी घर के गेट पे उसकी सहमी आंखे कुछ बोल रही थी न जाने क्यों कुछ कहना चाह रही थी जैसे ही उसकी नजर मुझ्से टकराई उसने भरे गले से अपनी कहानी बताई नही रहे पिता उसके इस दुनिया में अब वो मदद मांग रही है सब लोगो से अब   देख रही थी इक  उम्मीद आंखों में  मैं भी था बाहर जाने की हड़बड़ी में न पूछ सका बच्ची से उसके हालात के बारे में दिन भर सोचता रहा बस उस बच्ची के बारे में क्या कुछ रूपये से हो जायेगी मदद उनकी क्या आसान हो जाएगी जीवका उनकी कहते है ईश्वर जो भी करता है अच्छा करता है न जाने ईश्वर कभी कभी ऐसा क्यो करता है इसमें जाने क्या अच्छा  दिखाया है एक बच्ची ने अपने पिता को खोया है मैने ऊपर आसमां में सवाली  नजरों से देखा  ऊपर वाले को भी बेबस और लाचार देखा।

भइया ये अपनी काशी है

ये काशी  है भईया ये  वाराणसी है बाबा विश्वनाथ की आलौकिक नगरी है महिमा इसकी अद्भुत और निराली है अनेक महापुरुषों की यह कर्मस्थली है बहता है यहां गंगा जी का निर्मल जल नगरी है यह मोक्ष पाने का अनुपम स्थल  यह शहर कहलाता है घाटों का शहर मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट है यही पर मंदिर है यहां शक्तिपीठ मां विश्लाक्षी का रास्ता है माता विंधयावासनी का यहां से कुछ दूर का लिखी थी महान रामचरितमानस यही पर कवि तुलसीदास ने यही अस्सी घाट पर  संकटमोचन ,दुर्गाकुंड और काल भैरव मंदिर है यहा प्रसिद्  काशी हिंदू  विश्वविद्यालय है यहां का विश्वप्रसिद्ध वो सुबह शाम उगते डूबते सूरज को घाटों से निहारना  वो घाटों पे बैठकर यहां के मनोहर दृश्य को देखना वो शाम की गंगा जी की आरती का आनंद वो संध्या के गंगा जी में नौका विहार का आनंद  वो यहां की कचौरी और जलेबी का स्वाद वो लॉगलता और बनारसी पान का स्वाद वो गोदौलिया की प्रसिद्ध ठंडई का मजा वो विश्वप्रसिद्ध बानारसी साड़ी बनती है यहां  वो बनारस के भूल भुलैया गलियों का  जाल वो यहां की विश्व प्रसिद्ध संगीत घराने की सुर ताल  यह नगरी है फक्कड़ और मनमौजी लोगो की  है यहां की जीवन शैल