भइया ये अपनी काशी है
ये काशी है भईया ये वाराणसी है
बाबा विश्वनाथ की आलौकिक नगरी है
महिमा इसकी अद्भुत और निराली है
अनेक महापुरुषों की यह कर्मस्थली है
बहता है यहां गंगा जी का निर्मल जल
नगरी है यह मोक्ष पाने का अनुपम स्थल
यह शहर कहलाता है घाटों का शहर
मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट है यही पर
मंदिर है यहां शक्तिपीठ मां विश्लाक्षी का
रास्ता है माता विंधयावासनी का यहां से कुछ दूर का
लिखी थी महान रामचरितमानस यही पर
कवि तुलसीदास ने यही अस्सी घाट पर
संकटमोचन ,दुर्गाकुंड और काल भैरव मंदिर है यहा प्रसिद्
काशी हिंदू विश्वविद्यालय है यहां का विश्वप्रसिद्ध
वो सुबह शाम उगते डूबते सूरज को घाटों से निहारना
वो घाटों पे बैठकर यहां के मनोहर दृश्य को देखना
वो शाम की गंगा जी की आरती का आनंद
वो संध्या के गंगा जी में नौका विहार का आनंद
वो यहां की कचौरी और जलेबी का स्वाद
वो लॉगलता और बनारसी पान का स्वाद
वो गोदौलिया की प्रसिद्ध ठंडई का मजा
वो विश्वप्रसिद्ध बानारसी साड़ी बनती है यहां
वो बनारस के भूल भुलैया गलियों का जाल
वो यहां की विश्व प्रसिद्ध संगीत घराने की सुर ताल
यह नगरी है फक्कड़ और मनमौजी लोगो की
है यहां की जीवन शैली अद्भुत और अनोखी
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