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देवशिल्पकार

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हे विश्वकर्मा हे शिल्पकला के ज्ञाता कहलाते हो तुम त्रिलोक के निर्माता  तुम ही हो सम्पूर्ण जगत के पहले अभियंता  तुम ही हो अद्भुत संरचनाओं के सृजनकर्ता  हे देवअभियंता हे  स्रजनकारी  बनाए रखना इस धारा पर दृष्टि कल्याणकारी  हे पंच मुखधारी हे विश्वकर्मा  शत शत नमन है आपको हे विश्वकर्मा।

हे लम्बोदर

  हे गजानन हे लम्बोदर  करते है हम आप से प्रार्थना हाथ जोड़कर  बनाए रखना कृपा हम पर हे गजानन  ये भक्त करता है सदा आप का वंदन सौभाग्य था हमारा जो आप थे पधारे हमारे घर  खुशियां ही खुशियां छाई थी घर में चहु ओर  मिला था अवसर नौ दिन सेवा का हम सब को मोदक और ढेरो पकवान  खिलाकर आप को   अनजाने में कोई त्रुटि हुई हमसे हो पूजन पर  करबद्ध क्षमा प्रार्थना है हमारी आप से हे विघ्नेश्वर  आज आप के जाने से हो गया है घर सूना सूना  है ये प्रार्थना हमारी अगले वर्ष  पुनः है आप को लौटाना  ।

मेरे कान्हा

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हे कृष्णा, हे मुरलीवाले तुम ही हो जग में सबसे निराले  मईया यशोदा के हो तुम कान्हा हम सब के हो तुम नंदलाला कभीं बन जाते हो तुम माखनचोर कभी कहलाते हो गोपियों के चितचोर  ग्वाल बाल सबके हो दुलारे  राधा रानी के तुम मोहन प्यारे  तुम्हारी लीला है कान्हा अद्भुत न्यारी बनाए रखना कृपा सदा हम पर गिरधारी।

सफर सात वर्षों का

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खूबसूरत सफर ये सात वर्षों का लगता है साथ था ये कई वर्षों का  अपने साथ बहुत सारी यादों को समेटे  कुछ खट्टी मीठी अफसानों को लपेटे  आज यह खूबसूरत पल दास्तां में बदल जायेगा जिसका हर इक पन्ना यादगार बन कर रह जाएगा  आ गया यह सफर अब अपने अंतिम मुकाम पर  लेना है विदा अब अपनों से इस भावुक शाम पर कुछ पलों के बाद ये सफर याद बन कर रह जायेगा आने वाले समय में इतिहास बन कर रह जायेगा अब तो हम सोशल मीडिया मित्र बन कर रह जायेगे  एक दूसरे को टैग करके याद आयेंगे।

पिताजी

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पापा मेरे शान है आप पापा मेरे अभिमान है आप पापा मेरे जहान है आप पापा मेरे पहचान है आप जीवन के अग्निपथ पर चलना सिखलाया  सच्चाई और नैतिकता का पाठ  पढ़ाया  मुझको इक बेहतर इंसान बनाया शत शत नमन है मेरा आप के चरणों में    रहेंगे साथ हमेशा आप मेरे जीवन में ।

मातृ दिवस

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मेरी मां प्यारी मां  मेरी प्यारी न्यारी मां ममता की तुम मूरत थी हम सबकी तुम जरूरत थी  चेहरे पे रहती थी मुस्कान हमेशा  चाहे  हो सामने कितनी भी मुश्किल और हताशा  करके अपने इच्छाओं और सपनों को अर्पण  जीवन रहा हमेशा तुम्हारा हम बच्चों के लिए  समर्पण  मां याद हर क्षण तुम आती हो साथ हमेशा होने का एहसास दिलाती हो । 

हम तो है मजदूर

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साहब हम तो है मजदूर  जो होते है अक्सर वक्त के हाथों  मजबूर  करते है दिन रात हम जी तोड़ मेहनत फिर भी नहीं है हमारी इस जहां में कोई इज्जत  हमारी तो स्थिति होती है नींव के ईट जैसी जिसकी नहीं है कद्र जहां में  ऊंचे महलों जैसी  हम तो साहब रोज कमाते और खाते है  अक्सर खुले आसमान के नीचे अपनी रातों को बिताते है  हमें तो न कल का पता है और न आज का  न कब समझेगा ये समाज महत्व हमारे जज्बात का ।