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महापर्व है महाव्रत का

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छठ पूजा का है महापर्व   सूर्योपासना का है महापर्व  सूर्यदेव की स्वसा हो आप ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हो आप बहुत कठोर है महाव्रत छठ का कार्तिक मास का षष्ठी दिवस है आरंभ छठ पर्व का अद्भुत और अद्वितीय है यह महापर्व छठ का समर्पित है यह उपासना प्रत्यूषा और उषा का  देते है अर्घ्य डूबते और उगते सूर्य को इस महापर्व में  न कोई पंडित है और न कोई मंत्र होता है छठ महापर्व में  यह तो पर्व साधना का है जिसमें है  विश्वास का अमिट रंग  यह तो पर्व उपासना का है जिसको करते है सब श्रद्धा के संग  प्रथम दिवस है नहाय खाय इस  महावर्त का द्वितीया दिवस है लोहंडा और  खरना इस महापर्व का तृतीया दिवस है कठोर निर्जला व्रत  का  चतुर्थ दिवस है सूर्य अर्घ्य देकर पारण का नदी किनारें घाट सजाकर  दीप धूप से डाल सजाकर  ठेकुआ, लड्डू ,खीर और फल अर्पण  कर  हाथ जोड़कर शीश नवाकर  करते है प्रार्थना आपसे हम बारंबार  रहे सदा आशीष आपका हम सबको  संतानो की रक्षा कर देती हो दीर्घायु और स्वास्थ्य का आशीर्वाद सबको  ।

दीपावली - प्रकाश पर्व

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आओ चलो एक दीप जलाए  जग से अंधकार को मिटाए     सारे जहां में रोशनी फैलाए  मन से अज्ञान को हटाए  मीठे मीठे पकवान खाए ढेर सारे आतिशबाजी बजाए  गिले शिकवे भूल सबको गले लगाए  सबके जीवन में खुशियां आए  रोशनी का यह अद्भुत पर्व मनाए  मां लक्ष्मी हम सब पर आशीर्वाद बरसाए  जोश और उत्साह से दिवाली मनाए सबको है दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।

दीपावली - प्रकाश पर्व

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आओ चलो एक दीप जलाए  जग से अंधकार को मिटाए     सारे जहां में रोशनी फैलाए  मन से अज्ञान को हटाए  मीठे मीठे पकवान खाए ढेर सारे आतिशबाजी बजाए  गिले शिकवे भूल सबको गले लगाए  सबके जीवन में खुशियां आए  रोशनी का यह अद्भुत पर्व मनाए  मां लक्ष्मी हम सब पर आशीर्वाद बरसाए  जोश और उत्साह से दिवाली मनाए सबको है दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।

जूनून ए सफर

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कभी लगता है कितनी आसान है रास्ते मंजिल के  पहुंच जाएंगे यूंही कुछ कदम चलकर  मंजिल पे  मंजिल पे पहुंच कर हुआ दूरी का अहसास हमको  तय करना है अभी कांटों भरा मुश्किल सफर हमको हराना जीतना तो अपने मुकद्दर की बात है क्या खोया क्या पाया ये तो तकदीर की सौगात है करना है अपना प्रयास हमको अपना शत प्रतिशत जीना अपने सपनों के साथ हमको तभी बदलेगी किस्मत  मंजिल पे पहुंचने का जूनून ही पहुंचाएगा शिखर पर एक नया अध्याय लिख जायेंगे हम अथक निरन्तर साधना कर।

कल्पना एक नए जहां की

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आओ चलो एक नई दुनिया बसाए  प्यार के इंद्रधनुषी रंगों से उसको सजाए  न हो वहां कोई मजहब की ऊंची दीवारें  न हो वहां कोई नफरत की ऊंची मीनारें  चारों ओर हो फैला इंसानियत का रंग सब मिलजुल कर रहे वहां इक संग ।

" एक पेड़ मां के नाम"

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आओ मिलकर पेड़ लगाएं, धरती मां को स्वर्ग बनाएं। पेड़ हमारी मां के जैसा,  छाया अरु फल जिससे मिलता।। आए आंधी या तूफान , करता रक्षा बन चट्टान। इत मां दु:ख सहकर मुस्काती, उत मलिन वायु को शुद्ध बनाती। यही वजह वर्षा होने का, यही वजह उपजे अन्नों का, यही वजह है फैले वन का, यही वजह है पर्यावरण बचाने का।। यही वजह भू-संरक्षण का, यही वजह जल-संरक्षण का। यही वजह है हरियाली का, यही वजह है खुशहाली का।। पेड़ बिना जीवन नहिं संभव, यह जीवनदायिनी मां धरती पर। करुणा, म मता, त्याग का संगम, जीवन का पाठ पढ़ाता हरदम।। मां के नाम एक पेड़ लगाएं, भूस्वच्छ प्रदूषणरहित बनाएं। लेकर हाथों में हाथ सभी का, करें सुरक्षा जल-थल-नभ का।                   

दशहरा - पर्व है बुराई पर अच्छाई की जीत

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आज दिन है दशहरा के पावन पर्व का  आज है दिन बुराई पर जीत का आज है दिन अंधकार पर जीत का आज है दिन अहंकार पर जीत का आज है दिन अधर्म पर जीत का  आज है दिन असत्य पर जीत का आज है दिन अज्ञान पर जीत का आज है दिन अत्याचार पर जीत का आज है दिन अन्याय पर जीत का आज है दिन पाप पर जीत का आज है दिन क्रोध पर जीत का आज है दिन नकारात्मक पर जीत का आज है दिन अपने भीतर के रावण पर जीत का  आज है दिन एक दृढ़ संकल्प का आज है दिन अद्भुत प्रकाश पर्व का आओ करके प्रभु श्री राम का ध्यान मैं को त्याग कर करे प्रभु राम को प्रणाम  आओ चलो चले मानव जीवन के कठिन डगर पर आज दिन दशहरा का आया है एक नया अध्याय लेकर।