कल्पना एक नए जहां की


आओ चलो एक नई दुनिया बसाए 
प्यार के इंद्रधनुषी रंगों से उसको सजाए 

न हो वहां कोई मजहब की ऊंची दीवारें 
न हो वहां कोई नफरत की ऊंची मीनारें 

चारों ओर हो फैला इंसानियत का रंग
सब मिलजुल कर रहे वहां इक संग ।



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