निष्ठुर
उन रिश्तों की कद्र तो समझो साहेब उन जज्बातों की कद्र तो समझो साहेब जिनके वजह से आप आए थे इस दुनिया में जिन्होंने महसूस किया अपनी हर खुशी को आपकी खुशी में जो रातों को जागते थे जब आप को नींद आती नही थी जो छिपाकर परेशानियों को आपके लिए हमेशा मुस्कुराती थी जिन्होंने देखा था आप के सपनों में अपना सपना लेकिन जब वक्त आया तो आपने छोड़ दिया उनको तन्हा नहीं सोचा एक बार उनके लिए भी चल दिए मुंह मोड़कर अंपने होकर भी आज हो गए वो रिश्ते आपके लिए अजनबी और पराया जिन्होंने कभी उंगली पकड़ कर आपको था चलना सिखाया ।