Posts

Showing posts from July, 2023

बारिश

Image
बारिश का मौसम जब भी आता है न जाने क्यों तुम्हारी याद दिलाता है वो भी क्या  दिन थे  जब हम दोनों संग थे जब हाथों में तुम्हारा हाथ थामे बारिश की रिमझिम फुहारों की फिज़ा में  खुद को भिगोते और गुनगुनाते आंखों में आंखें डाले और मुस्कुराते  उन हसीन जुल्फों पे वो बारिश की बूंदों की वो बरसाते  मानो ये लगता था उतर आई काली घटा आसमां से  यूंही चलते जाते थे सागर के किनारे  न जाने कितने हसीन थे वो दिलकश नजारे जिनकी याद हमें आज भी आ जाती है जब भी ये बारिश की बूंदे हमको भीगाती है ।

जीवन दर्शन

Image
असफलता से कभी तू हारना मत जीवन में  मुश्किलात से कभी तू डरना मत जीवन में  बस धैर्य के साथ यूंही मंजिल की ओर बढ़ते चलना है तूफान में भी नाव की पतवार को संभाले रखना है  यह वक्त देखते देखते यूही बीत जाएगा इक दिन तू जरूर मंजिल पे पहुंच जायेगा  यही मानव जीवन का सार है  यही सफलता का आधार  है

हमसफर

Image
तुम चलना साथ सदा मेरे हमसफर तुम रहना साथ सदा मेरे हमसफर यूंही बना रहे यह प्यार हमारा यूंही बना रहे यह संसार हमारा  यह बंधन है  सदियों का यह बंधन है  खुशियों का  सुख हो या दुख मिलके करेंगे सामना तुम पर कुर्बान है हर खुशी हर सपना तेरे होने के अहसास से महके घर का हर एक कोना जैसे फूलों की खुशबू से महके चमन का हर एक कोना राह मे आने वाले कठिनाइयो से न घबराना है  थामें इक दूजे का हाथ यूंही आगे बढ़ते जाना है ।

मुखौटा

Image
जिनके लिए सब कुछ खोने चले थे हम हुआ ये अहसास कुछ दूर चलने के बाद  यहां तो हर चेहरे पे है मुखौटा इंसानियत का जिनके लिए कोई कीमत नहीं है इंसान की 

अनकहे राज

Image
ये खामोश रातें ना जाने क्यों कहना चाहती है बहुत कुछ क्यों सन्नाटे की स्याह को अपने में लपटे कितने अनकहे राज अपनें में समेटे कहना चाहती हैं बहुत कुछ मगर कुछ तो हैं वरना बोल देती अगर कई छिपे राज से पर्दे हट जाएंगे कई अनकहे  अफसाने बाहर आ जायेंगे  कुछ के चेहरों से नकाब हट जाएंगे कुछ चेहरे हमको अचंभित कर जायेंगे

खूबसूरत ख़्वाब

Image
चलो एक नया जहान बनाए उम्मीदों के नए सपने सजाए न हो कोई ऐसा एक भी घर का कोना जहां बना रखा हो मनहूसियत ने ठिकाना  घर की फिजा में हो खुशियां ही खुशियां सदा रहे यूंही महकती हमारी  ये बगिया छोड़ के सब कुछ इस मतलबी जहान में  आओ चले दूर इस जहान से उस जहान में

सौदागर

Image
उम्मीदों के इस दुनिया में हसरतों के इस बाजार में बेचने को बैठे है लोग कुछ मतलबी खरीदारों को कुछ सपनों के मायाजाल को  रिश्तों के भ्रमजाल  को ।

रथयात्रा

Image
यह रथयात्रा का पवित्र त्योहार आता है वर्ष में शुक्ल पक्ष आषाढ़ शुरू होती है तैयारी पुरी में कई दिनों से  बनता है जगन्नाथ प्रभु का रथ सोलह चक्कों से  होते  है चौदह चक्के रथ में  प्रभु बलभद्र के  माता सुभद्रा के रथ चलते है बारह चक्कों से निकल कर मंदिर से चल पड़ते है संग तीनों मौसी के घर नौ दिन वहां बिताने को अपने अपने रथ में बैठकर  अदभुत शोभा है उन तीनो के रथ की  जिसका वर्णन नहीं संभव है शब्दो र्मे भी चल पड़ते है तीनों अपने मौसी के घर को यह अवसर है भक्तो को दर्शन देने को अत्यंत मनोरम और पावन अवसर है  ये रथयात्रा लोगो के भक्ति और आस्था का  है यह  संगमयात्रा  हे  बलभद्र ,माता सुभद्रा और प्रभु जगन्नाथ बनाए रखना हमेशा सब पर अपना आशीर्वाद ।