रथयात्रा
यह रथयात्रा का पवित्र त्योहार
आता है वर्ष में शुक्ल पक्ष आषाढ़
शुरू होती है तैयारी पुरी में कई दिनों से
बनता है जगन्नाथ प्रभु का रथ सोलह चक्कों से
होते है चौदह चक्के रथ में प्रभु बलभद्र के
माता सुभद्रा के रथ चलते है बारह चक्कों से
निकल कर मंदिर से चल पड़ते है संग तीनों मौसी के घर
नौ दिन वहां बिताने को अपने अपने रथ में बैठकर
अदभुत शोभा है उन तीनो के रथ की
जिसका वर्णन नहीं संभव है शब्दो र्मे भी
चल पड़ते है तीनों अपने मौसी के घर को
यह अवसर है भक्तो को दर्शन देने को
अत्यंत मनोरम और पावन अवसर है ये रथयात्रा
लोगो के भक्ति और आस्था का है यह संगमयात्रा
हे बलभद्र ,माता सुभद्रा और प्रभु जगन्नाथ
बनाए रखना हमेशा सब पर अपना आशीर्वाद ।
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