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Showing posts from March, 2023

वक्त

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मत कर गुरुर अपने पर , ए मेरे दोस्त  यह तो सिर्फ वक्त वक्त की बात है वक्त का पहिया खामोशी से घूमता दिन रात है ये आज तुम्हारा है , कल हमारा होगा  हमारे अपने साथ होंगे ,न कोई तुम्हारा होगा ।

अभिमान

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ना जाने बेचैनी सी है क्यों न जाने उदासी सी है क्यों कहीं ये तूफान से पहले की खामोशी तो नही  कहीं ये कुछ अनर्थ होने की खामोशी तो नहीं  कुछ लोग समझते है अपने को ईश्वर से ऊपर चढ़ता जाता है उनका अहंकार चढ़कर सिर पर लगते है खेलने लोगो के जीवन से वो जाहिल  समझने लगते है अपने को दुनिया में सबसे काबिल उनके लिए सब कुछ बिकाऊ है इस दुनिया में पैसों से सब कुछ खरीदा जा सकता है इस दुनिया मे  वो मूर्ख नहीं समझते है इंसान की खुद्दारी  कुछ लोग नही कर सकते अपने जमीर से गद्दारी  जब बढ़ने लगता है उनके अत्याचारों की अति जब होने लगती है उनके इस अति की पुनरावृति  उन अज्ञानी को याद नहीं आता है इतिहास कैसे हुआ था रावण और कंस का विनाश तब ऊपरवाले की लाठी चलती है नही उसमे कोई आवाज होती है हो जाता है जब सब कुछ उनका खत्म  तब जाकर टूटता है उनका यह झूठा भ्रम ।

प्रयास

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      प्रयास  कोशिश हमें करते जाना है यू ही आगे बड़ते जाना है पैरों के छालों से न घबराना है कठिनाइयों से लड़ते जाना है इक दिन मंजिल पे पहुचेंगे हम कामयाबी की नई कहानी लिखेंगे हम। 

साथ

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                   जरूरी नहीं की हर ख्वाब मुकम्मल हो जरूरी नहीं की हर साथ मुकम्मल हो मिलना बिछड़ना तो मुकद्दर की बात है वरना आप तो हमारे हर धड़कन के साथ है

तदबीर

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तकदीर का न जाने क्या है ठिकाना किस शहर में होगा अपना नया आशियाना  चलते चलते कब मिलेगा मंजिल सुहाना क्या फिर से आयेगा अपना वो जमाना

मिलन

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इश्क, प्यार और मोहब्बत ये सब किस्मत की बात है वरना भगवान भी न तड़पते  ताउम्र अपनी प्रेयासी की याद में  ।

इंतजार

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जब भी आसमां में देखता हूं तारों को  तुमको ही ढूंढती है ये आंखें चारो ओर  तुम्हारे दूर चले जाने के एहसास से  आज भी आंखें नम हो जाया करती है 

भ्रम

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चले थे मंजिल की ओर  कुछ पाने की ख्वाइश में करीब जाकर हुआ ये एहसास  मंजिल तो अभी बहुत दूर है।

होली

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होली आई है होली आई है अपने संग ढेरो खुशियां लाई है रंगों का त्यौहार है ये होली मस्ती की  फुहार है ये होली त्यौहार है यह त्याग और बलिदान का राधा कृष्ण के अद्भुत प्रेम के अभिमान का त्यौहार है यह बुराई पर अच्छाई की विजय  का प्रह्लाद का होलिका और हिरण्यकश्यप पर जय का पिचकारी तो इक बहाना है रंगों में सबको नहलाना है अबीर गुलाल से हुआ रंगमय चहुंओर आओ खाए गुजिया और मिठाई मिलकर  शाम को होता है आयोजन होली मिलन समारोह का अवसर  है यह गिले शिकवे भूलकर सबसे मिलने का उठाते है लुफ्त हास्य कवि सम्मेलन  का लगाते है गोते हास्य के सागर में  ठहाकों का ।