मत कर गुरुर अपने पर , ए मेरे दोस्त यह तो सिर्फ वक्त वक्त की बात है वक्त का पहिया खामोशी से घूमता दिन रात है ये आज तुम्हारा है , कल हमारा होगा हमारे अपने साथ होंगे ,न कोई तुम्हारा होगा ।
ना जाने बेचैनी सी है क्यों न जाने उदासी सी है क्यों कहीं ये तूफान से पहले की खामोशी तो नही कहीं ये कुछ अनर्थ होने की खामोशी तो नहीं कुछ लोग समझते है अपने को ईश्वर से ऊपर चढ़ता जाता है उनका अहंकार चढ़कर सिर पर लगते है खेलने लोगो के जीवन से वो जाहिल समझने लगते है अपने को दुनिया में सबसे काबिल उनके लिए सब कुछ बिकाऊ है इस दुनिया में पैसों से सब कुछ खरीदा जा सकता है इस दुनिया मे वो मूर्ख नहीं समझते है इंसान की खुद्दारी कुछ लोग नही कर सकते अपने जमीर से गद्दारी जब बढ़ने लगता है उनके अत्याचारों की अति जब होने लगती है उनके इस अति की पुनरावृति उन अज्ञानी को याद नहीं आता है इतिहास कैसे हुआ था रावण और कंस का विनाश तब ऊपरवाले की लाठी चलती है नही उसमे कोई आवाज होती है हो जाता है जब सब कुछ उनका खत्म तब जाकर टूटता है उनका यह झूठा भ्रम ।
प्रयास कोशिश हमें करते जाना है यू ही आगे बड़ते जाना है पैरों के छालों से न घबराना है कठिनाइयों से लड़ते जाना है इक दिन मंजिल पे पहुचेंगे हम कामयाबी की नई कहानी लिखेंगे हम।
होली आई है होली आई है अपने संग ढेरो खुशियां लाई है रंगों का त्यौहार है ये होली मस्ती की फुहार है ये होली त्यौहार है यह त्याग और बलिदान का राधा कृष्ण के अद्भुत प्रेम के अभिमान का त्यौहार है यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रह्लाद का होलिका और हिरण्यकश्यप पर जय का पिचकारी तो इक बहाना है रंगों में सबको नहलाना है अबीर गुलाल से हुआ रंगमय चहुंओर आओ खाए गुजिया और मिठाई मिलकर शाम को होता है आयोजन होली मिलन समारोह का अवसर है यह गिले शिकवे भूलकर सबसे मिलने का उठाते है लुफ्त हास्य कवि सम्मेलन का लगाते है गोते हास्य के सागर में ठहाकों का ।