आज है शिव की रात्रि आज है महाशिवरात्रि हे सोमनाथ हे विश्वनाथ भस्म को शरीर पे लपेटकर गंगा को जटाओं में समेटकर चले है मृगछाला लपेटकर निकले है मेरे भोलेनाथ बारात संग लेकर हे बैद्यनाथ हे केदारनाथ आज है यह महापर्व अद्भुत है यह महा शिवरात्रि पर्व गले में है सर्प और नरमुंडों की माला पीकर विष और भंग का प्याला चले है बाराती प्रेत, पिचाश,राक्षस, गण ,गंधर्व, नाग मतवाला हे ओंकारेश्वर हे भीमाशंकर मस्तक पर शोभित है चंद्रमा डमरू और त्रिशूल हाथों में बैल पर चढ़कर चले है शिव बारात संग देवी-देवता सब चले है शिव बारात संग हे महाकालेश्वर हे त्रंबकेश्वर शिव की लीला देख सब चकराये मां मैनावती और पिता हिमालय पार्वती पर गुस्साए क्या यही है वर पुत्री पार्वती का डमरूवाला जिसके लिए गौरी ने किया कठोर तप लाखों वर्षों वाला यह देखकर शिवशंभु मद मंद मन ही मन मुस्कुराए हे घृष्णेश्वर हे नागेश्वर देख शिव की ये माया मां गौरी ने पर्वतराज पिता और मां मैना को समझाया यही है त्रिलोकी त्रिपुरारी जगत के यही है पालनहारी त्रिलोक के य...