पछतावा


कुछ गुस्ताखिया ऐसी क्या हुई हमसे
जो रूठ कर चल दिए इतनी दूर हमसे

ये आंखें रातों में निहारती है आसमान को आज भी
ये आंखें तारों में खोजती है आपको आज भी

काश ये वक्त लौट जाता वापस उन दिनों में 
काश कर पाते सपनों को पूरा जो देखे थे कभी हमनें ।


Comments

AKS said…
Pachhatawa V Jindagi ka ek aham pagali hai..

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