अधूरा प्यार


ये उन दिनों की बात है
जब हमारी उनसे हुई थी पहली मुलाकात
वो कॉलेज के दिन थे
बड़े सुहाने वो दिन थे

हमारी उनसे नजरे अचानक मिली  थी
मची दिल मे अजीब सी खलबली थी
हुआ यू के लाइब्रेरी में किताबो के बीच में
टकरा गए हम कुछ इस तरह से आपस में

छूट गई किताब उनकी हाथो से 
उन्होंने हमारी ओर देखा तिरझी नजरों से 
हमने झुक कर किताबो को उठाया
उनको बड़े अदब से हाथों में थमाया

उन्होंने मुस्कुरा कर अपनी पलकों को झुकाया
हमने भी मुस्कुरा कर अपने सिर को झुकाया
होने लगी अक्सर हमारी लाइब्रेरी में मुलाकते
अब तो वो अक्सर हमारे सपनों में चले आते 

अब तो जिंदगी बहुत हसीन हो गई थी
मानो जीवन की सारी कमी पूरी हो गई थी
तभी एक दिन तूफान हमारे जीवन में आया 
उनके पापा ने उन्हें अपने पास दूसरे देश बुलाया

वो हमारी आखरी मुलाकात थी 
सवालों से भरी वो रात थी
उसने गमगीन नजरों से हमको देखा
उसकी आंखों में एक अजीब खामोशी को देखा

उसे लगता था कि अब 
नही हमसे मिलेगी वो
उसकी बातो से में न जाने 
विश्वास की कमी थी क्यों

हमने उसको बहुत समझाया 
जल्द मिलने का भरोसा दिलाया
फिर वो चली गई हमको तन्हा कर के
हम बैठे रहे उसके आने के इंतजार में

दिन बीतते रहे और वर्षों बीतते रहे
यूंही उसके हम रोज रास्ते को देखते रहे
न कोई खबर आई न वो आई थी
उसके इंतजार में हमारी आंखे  पथराई थी

वो खुश है अपने दुनिया में 
 यही मन को समझाते है
उसकी खुशी में हमारी खुशी है 
यही अपने को दिलासा देते है


 











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