मानवता


वो साल 2020 का था 
कुछ हुआ बहुत अजीब सा था
अचानक ये खबर पूरे विश्व में आई 
पड़ोसी देश में कोरोना ने तबाही मचायी
हो गया था वहा सब कुछ अस्त व्यस्त
मानव जीवन  हुआ कोरोना से ग्रस्त
फिर ये तबाही हमारे देश में चली आयी
संपूर्ण देश में शुरू हुई कोरोना से लड़ाई
चारो ओर फैला था भय का माहौल
अब क्या होगा लोगो में था कौतूहल 
लग गया कर्फ्यू संपूर्ण देश के हर कोने में 
मच गई अफरा तफरी सब लोगों में 
सभी जगहों पे लगने लगी थी लंबी कतारें
चाहे हो रेलवे स्टेशन ,बस स्टैंड  या सड़कों के किनारे
हो गए बंद  दुकानें और कल कारखाने 
हो गई ठप जिंदगी रोज कमाने वालों की 
पड़ गए लाले एक एक निवाले को भी
निकल पड़ा पैदल घर के लिए लोगो का हुजूम
बच्चो को कंधो पर बिठाकर चलने को हूवे थे मजबूर
सैकड़ों किलोमीटर घर की वो दूरी 
नंगे पैरों से तय करती उन सूनी आंखों की मजबूरी
वो दूध के लिए बिलखते बच्चों के आवाजें 
वो अस्पतालों के सामने लोगो की लंबी कतारें
वो ऑक्सीजन के अभाव में जीवन से जंग हारती सांसे
वो अस्पतालों को दौड़ती लड़खड़ाते पैरो की आवाजें 
वो नदी में तैरती अधजली लोगो की लाशें
वो शमशान में जलती अपनो की लाशें
हर तरफ मातम सा फैला था 
अजीब सा सूनापन चारो तरफ दिखाई दे रहा था
सभी ने किसी न किसी अपने को खोया था
मैने भी अपनी मां को खोया था 
मां को अचानक आया था ब्रेन स्ट्रोक
लेकर दौड़ता रहा अस्पतालों में उनको
एडमिशन के लिए कोरोना जांच था जरुरी
जिससे हुवी अस्पताल भर्ती में देरी
सात अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद
दिखाई  एक डॉक्टर ने  अपनी दरियादिली
तब जाकर मिला अस्पताल में बिना कोरोना जांच के एंट्री
लेकिन तब तक हो चुकी थी बहुत देरी
ना बचाया जा सका माता जी को मेरी
मेरी जैसी बहुत सी घटनाएं हुई सम्पूर्ण देश में इस दौरान
बेचारा इंसान देखता रहा जाते हुए अपनो की जान
किसी बच्चे ने अपने मां बाप को खोया
किसी के घर में कोई भी नहीं था बचा
मैं मानवता को खोज रहा था 
न जाने कहां वो छिप गई थी
न जाने  कहां वो गुम हो गई थी
मैं उसे पुकार रहा था ....कहां हो .....कहां हो.......तुम ।

Comments

AKS said…
Aaj V us Bure wakt ko yaad saham sa jata hu. Aap ki kavita a jeewant chitran hai.

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