डॉ श्लोक
मेरे प्यारे मेरी आंखों के चमकते तारे,
खुशियों से भरा हो हर पल तुम्हारा मेरे राजदुलारे,
ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात है
तुमने की है मेरी उंगली पकड़ कर चलने की शुरुआत है
वो तुम्हारा तुतला कर मुझे पापा कहकर बुलाना
मेरे जीवन का है वो अनमोल खजाना
यूंही फूलों जैसे महकते रहो हमेशा तुम
यूंही सूरज जैसे चमकते रहो सदा तुम
चलना है सदा तुमको जीवन के कठिन सत्य पथ पर
कभी हारना ना तुम हिम्मत आए राहों में कितनी भी मुसीबत
तुमसे ही है हमारे जीवन की हर खुशी
बना रहे बाबा विश्वनाथ का सदा तुम पर आशीष ।
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