मिथ्यजाल


आज फिर हार गया है सच
आज फिर जीत गई है झूठ

चारों तरफ फैलाया गया है मिथ्या और भ्रम का जाल
जिसमे फंस गया है देश का युवा, किसान और नौनिहाल

न अब कोई चिंता है किसी को रोजगार, भ्रष्टाचार और महंगाई की
अब तो हर तरफ है चर्चा रामराज्य और खुशहाली की 

पहन लिया है हमने चश्मा अब सनातन का
नहीं है चिंता अब क्या होगा इस देश और लोग जन का

लेकिन ए पथिक तुझे इस हार और भ्रमजाल से नहीं घबराना है  
बिना रुके और थके आगे बढ़ते जाना है

एक दिन जब सत्य की क्रांति और आंधी आएगी
इस झूठे भ्रम जाल को उड़ाकर अपने संग ले जायेगी 

तब जाकर होगा लोगों को ये एहसास
क्या खोया और पाया है हम लोगों ने आज


Comments

Popular posts from this blog

मातृ दिवस

उड़ान

पिताजी