बारिश
बारिश का मौसम जब भी आता है
न जाने क्यों तुम्हारी याद दिलाता है
वो भी क्या दिन थे
जब हम दोनों संग थे
जब हाथों में तुम्हारा हाथ थामे
बारिश की रिमझिम फुहारों की फिज़ा में
खुद को भिगोते और गुनगुनाते
आंखों में आंखें डाले और मुस्कुराते
उन हसीन जुल्फों पे वो बारिश की बूंदों की वो बरसाते
मानो ये लगता था उतर आई काली घटा आसमां से
यूंही चलते जाते थे सागर के किनारे
न जाने कितने हसीन थे वो दिलकश नजारे
जिनकी याद हमें आज भी आ जाती है
जब भी ये बारिश की बूंदे हमको भीगाती है ।
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