अनकहे राज

ये खामोश रातें ना जाने क्यों
कहना चाहती है बहुत कुछ क्यों

सन्नाटे की स्याह को अपने में लपटे
कितने अनकहे राज अपनें में समेटे

कहना चाहती हैं बहुत कुछ मगर
कुछ तो हैं वरना बोल देती अगर

कई छिपे राज से पर्दे हट जाएंगे
कई अनकहे  अफसाने बाहर आ जायेंगे 

कुछ के चेहरों से नकाब हट जाएंगे
कुछ चेहरे हमको अचंभित कर जायेंगे







Comments

AKS said…
Ankahe Raj Ka V Apna Maja Hai ..

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