नव आरंभ

आज था सुअवसर बेटे का 
नए स्कूल में प्रथम प्रवेश का
सभी बच्चों की आंखों में थी इक उत्सुकता
नन्ही आंखों में थी नए सफर पर चलने की आतुरता 
अभिभावको के चेहरे पे थी उम्मीदों की इक चमक
उनके यह बच्चे है करेंगे उनके सपनों को हकीकत 
तभी स्कूल के प्रिंसिपल ने बोला मुस्कुराकर 
यह स्कूल है बच्चो के नए सफर का इक अवसर
यहां से सीखेंगे ये नए जीवन की शिक्षा
कैसे सामंजस्य है करना लेंगे इसकी दीक्षा 
रखना है बच्चों को मोबाइल फोन से दूर
इसके लिए हमको देना होगा समय भरपूर
अब तो एकाकी परिवार का है जमाना
बच्चों के लिए जरूरी है माता पिता का साथ होना।

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