चलचित्र

तुम्हारे शहर में आया हू 
इक जमाने के बाद
इन सुनी गलियों को देख
मुझे आ रहा है कुछ याद

ये वही गालियां है जहा 
मोहब्बत की हवाएं बहती थी
तेरे पायल की छन छन से 
यह गली गूजा करती थी

वो तेरा मुझको देख कर घबड़ा जाना
भाग कर दरवाज़े के पीछे छिप जाना
यूंही सब चलचित्र के तरह याद आता है
मुझे वो मंजर आज भी तुम्हारी याद दिलाता है

तुमसे बिछड़े ज़माने हो गए हमको
कभी न हम भूल पाएंगे तुमको 
न जाने तुम कहां होगी अब
न जाने फिर मिलेगी कब

दिल से यही दुआ 
निकलती है हमारी
खुश रहो सदा तुम 
यही अरदास है हमारी


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