स्वामी विवेकानंद


हुआ था जन्म एक बालक का 
करने आया था कल्याण विश्व का 
नाम था नरेंद्र नाथ दत्त उनका
बचपन से था लगाव अध्यात्म में उनका

गुरु थे उनके महान संत श्रीं रामकृष्ण जी 
थे अति प्रिय गुरू को स्वामी विवेकानंद जी
गुरु के आदर्शों से प्रेरित था उनका जीवन
कर दिया था अपने को समाज के लिए अर्पन

पच्चीस वर्ष के आयु मे गेरुआ वस्त्र धारण कर
और निकल पड़े सम्पूर्ण विश्व भ्रमण पर
चले विश्व को वेदांत दर्शन का पाठ पढ़ाने
भारतीय दर्शन और अध्यात्म का महत्व समझाने

शिकागो में फहराया परचम भारतीय सनातन धर्म का
किया मंत्रमुग्ध अपने भाषण से वहा उपस्थित श्रोतागण का 
वेदांत दर्शन को विश्व के हर कोने कोने में पहुंचाया
लोगो को जीवन जीने का नया मार्ग दिखलाया

देश के स्वंत्रता आंदोलन में दिया महत्वपूर्ण योगदान
करते रहेंगे सदा हम सब उन पर  हमेशा अभिमान
किया विरोध पाखंडों और सामाजिक कुरीतियों  का 
और किया स्थापना रामकृष्ण मिशन का 

जीवन में शिक्षा और सामाजिक सेवा महत्व को बतलाया
अपने रचनाओं के माध्यम से सब लोगो को जगाया
दिया त्याग अपने शरीर को 39 वर्ष की अल्पायु में
किया महान कार्य जो कोई कर न पाया अपने लंबे जीवन में।

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