मुकद्दर
जब हम पहली बार तुमसे मिले थे
दिल में अरमान बहुत सारे खिले थे
फिर हमारे मिलने का सिलसिला ऐसा शुरू हुआ
जैसे पतझड़ के बाद फूलों का खिलना शुरू हुआ
जिंदगी बहुत खुशनुमा सी हो गई थी
ऐसा लग रहा था सारी दुनिया मिल गई थी
अचानक इक तूफान आया जीवन में
उड़ा ले गया सब कुछ अपने संग में
उजड़ गया घर हमारा बसने से पहले
डूब गई किश्ती किनारे पे पहुंचने से पहले
जिंदगी ऐसे मोड़ पे हमें ले आई
जहां हर तरफ है बेबसी और तन्हाई
अब हो हालत ऐसा हो गया है हमारा
जुबां पे जिक्र भी न कर सकते है तुम्हारा ।
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