मां सरस्वती


हे विद्यादायनी ! हे वीणावादनी !
हे माता करते है आपको सादर नमन
सिर झुका कर करते है आप का वंदन
आप की जिस पर हो जाती है दया
मिलती है उसको सबसे बड़ी दौलत विद्या 

हे मां सरस्वती ! हे मां हंसवाहिनी
आप हो इस जगत की  जननी
करती है दूर इस जगत का अंधकार
बजा के अपनी वीणा के मधुर तार

देकर हम सबको अपना आशीर्वाद 
कर दो जीवन उज्जवलित और आबाद
आने ना देना कभी हममें अहंकार
ना करे हम कभी किसी का तिरस्कार 

दूर करो हमारा अज्ञान 
दे दो हमको विद्या का वरदान
बस यही है आप से प्रार्थना
स्वीकार करो मां मेरी ये अर्चना 
हे  ज्ञानदायनी ! हे मां शारदा।

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