फ्लैश बैक


न जाने हमे नींद 
क्यों आती नही है
न जाने तुम्हारी याद
क्यों जाती नही है

बहुत कोशिश की हमने 
तुम्हे भुलाने की मगर
बहुत कोशिश की हमने
तुम्हे दिल से मिटाने की मगर

जब भी बंद करते है
आंखें हम ये सोच कर
न देखेंगे उन वीरान गलियों में 
हम कभी जीवन में ये सोच कर 

आंखों के सामने अनायास ही
तुम्हारा अक्स चला आता है
घबराहट के मारे अनायास यूं ही 
हमारा दिल जोरों से धड़क जाता है

उठ कर बैठ जाते है हम  
और सोचने लगते है हम
क्या उनको भूल  पायेंगे हम
क्या उनको भूला पायेंगे हम ।



Comments

AKS said…
Gajab Ki Bebasi Hai Ye....
Unknown said…
Very nice Sir...
Unknown said…
Excellent Sir.... Pares Kumar

Popular posts from this blog

मातृ दिवस

यूंही आगे बढ़ते जाना है

पिताजी