उम्मीद


यह रात भी कितनी खामोश है
न जाने दिल में क्यों कुछ अफसोस है
तुम्हारे जाने के बाद बहुत तलाशा तुमको
मगर न तुम मिली न तुम्हारा ठिकाना मिला हमको
काश तुमने मेरा इक बार इंतजार तो किया होता
काश तुमने मेरा एतबार तो किया होता
चली गई तुम कुछ अनकही अफसाने छोड़कर
चली गई तुम कुछ अधूरे सवालातो को छोड़कर 
तलाश में तुम्हारी दर बदर भटक रहे है आज भी हम
कही तो मिलोगी यही सोच कर सफर में है आज भी हम

Comments

Popular posts from this blog

मातृ दिवस

यूंही आगे बढ़ते जाना है

पिताजी