दुनिया

लोग कहते  है हम पहले जैसे न रहे
उनको क्या मालूम हमने क्या सितम सहे

किसी ने दिल को तोड़ा 
किसी ने  घर को तोड़ा
लोगो ने हमको कहीं का न छोड़ा

हमारी शराफत को लोगो ने 
हमारी कमजोरी समझा
हमारी नेकदिली को लोगो ने
हमारी बेवकूफी समझा

कोई बोला हमको अनाड़ी
कोई बोला हमको शिकारी 
कोई बोला हमको भिखारी

लोग लगाते रहे हम पर आरोपों की झड़ी
हम मुस्करा कर सहते रहे वक्त की हर छड़ी

वक्त के थपेड़े ने बना दिया हमको पत्थर
अब तो लोग कहते है हमको खंडहर 

Comments

AKS said…
Really Gajab Ki hai ye Duniyadari.

Popular posts from this blog

मातृ दिवस

यूंही आगे बढ़ते जाना है

पिताजी