शिक्षक दिवस

आज है शिक्षक दिवस का ये पावन अवसर 
उस गुरु  शिष्य परंपरा को नमन करने का है ये अवसर 
जो सदियों से चली आ रही है इस धरा पर
वो गुरु वशिष्ठ और  शिष्य प्रभु राम 
जिन्होंने किया था आजीवन  पालन  मर्यादा का 
और विश्व में कहलाए मर्यादा पुरुषोत्तम 
वो गुरु सांदीपनि और शिष्य श्री कृष्ण 
जब मांगा था गुरु माता ने अपना पुत्र गुरु दक्षिणा में 
तो ले आए गुरु के पुत्र को यमराज से छुड़ाकर 
वो महान एकलव्य और गुरु द्रोण 
गुरु द्रोण ने गुरु दक्षिणा में अंगूठा जब मांगा एकलव्य से
हंसते हंसते काटकर किया था अर्पण अंगूठा गुरु के चरणो मे 
वो गुरु समर्थ रामदास और शिष्य छत्रपति शिवाजी 
जो ले आए थे गुरु की खातिर बाघिन का दूध 
लगा के अपने प्राणों की बाजी
ये धरा  भरी है अनेकों  गुरुओं और शिष्यों कहानियों से
जिन्होंने निभाई गुरु शिष्य की ये महान परंपरा सदियों से
ये दिवस मनाया जाता है देश के दूसरे राष्ट्रपति 
सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के रूप में
था किया अनुरोध इसको शिक्षक दिवस मनाने के रुप में 
आज कल गुरु शिष्य की ये परम्परा होती जा रही  है अदृश्य 
अब न दिखाता है इस महान परंपरा का इस धरा पर कोई भविष्य
हम सबको मिलकर इस परंपरा को आगे बड़ाना है
और अपने देश में गुरु शिष्य की इस परंपरा को समृद्ध बनाना है।

Comments

Unknown said…
Adbhut peshkash
Unknown said…
Bohot sundar poem hai

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