कश्मकश



ये कैसी कश्मकश है ऐ मेरे दोस्त
बड़ी अजीब सी है ये कश्मकश ए मेरे दोस्त
हम तो हमेशा एक तरफा वफा निभाते चले गए
पर ये लोग है जो हमे बेवफाई दिखलाते गए
झूठे वादे ,झूठे सपने, झूठी दुनिया का ये जंजाल है
यहां तो चारो तरफ दूर दूर है फैला झूठ का मायाजाल है
लोगों ने चेहरे पर लगाया है झूठ का मुखौटा 
नही दिखाना चाहते है वो अपना असली चौखटा 
अब तो यहां घुटन सी महसूस होती है ए मेरे दोस्त
अब तो निकलना है यहां से बेहतर ए मेरे दोस्त।

Comments

AKS said…
Realy Jindgi kewal Kashmokas se bhari hai
Anonymous said…
Good one sir

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