नादानियां


कुछ यादें हमेशा क्यो सताती है 
मैं भूलना चाहता हू तो भी याद क्यों आ जाती है
कुछ वादे जो किए थे मैने खुद से 
जो पूरी हो न सकी मेरी नादानियों से 
जब भी रात को चांद की ओर देखता हू
मुझे वो सब कुछ याद आता है 
वो मंजर चलचित्र सा मेरी आंखों के सामने घूम जाता है
चले गए है अब बहुत दूर वो मुझसे
उन सितारों के पास जहां से कोई लौटकर नही आता 
रोज रात उन तारों को सूनी आंखो से निहारते हुवे ये सोचता हूं 
काश मैं अपने उन वादों को पूरा कर पाता
काश मैं अपने उन वादों को पूरा कर पाता............

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